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श्रीकन्हैया जी महाराज

विश्व प्रख्यात भागवत् कथा वक्ता

Month

June 2015

कृष्णा जीवन आधार

💖कृष्ण यदि शब्द है,
💖तो राधा अर्थ है।
💖कृष्ण गीत है,
💖तो राधा संगीत है।
💖कृष्ण बंशी है,
💖तो राधा स्वर है।
💖कृष्ण समुद्र है,
💖तो राधा तरंग है।
💖कृष्ण पुष्प है,
💖तो राधा सुगंध है।
💖राधा से ही कृष्ण है।।
और
💕कृष्ण से ही राधा है।।💕

🙏🌺जय श्री कृष्णा 🌺🙏
💖कृष्ण उठत, कृष्ण चलत, कृष्ण शाम-भोर है।
💖कृष्ण बुद्धि, कृष्ण चित्त, कृष्ण मन विभोर है॥
💖कृष्ण रात्रि, कृष्ण दिवस,कृष्ण स्वप्न-शयन है।
💖कृष्ण काल,कृष्ण कला,कृष्ण मास-अयन है॥
💖कृष्ण शब्द,कृष्ण अर्थ,कृष्ण ही परमार्थ है।
💖कृष्ण कर्म, कृष्ण भाग्य, कृष्ण ही पुरुषार्थ है॥
💖कृष्ण स्नेह, कृष्ण राग, कृष्ण ही अनुराग है।
💖कृष्ण कली, कृष्ण कुसुम, कृष्ण ही पराग है॥
💖कृष्ण भोग, कृष्ण त्याग, कृष्ण तत्व-ज्ञान है।
💖कृष्ण भक्ति, कृष्ण प्रेम, कृष्ण ही विज्ञान है॥
💖कृष्ण स्वर्ग, कृष्ण मोक्ष, कृष्ण परम साध्य है।
💖कृष्ण जीव, कृष्ण ब्रह्म, कृष्ण ही आराध्य है!!

💕🙏जय श्री कृष्णा 🙏💕
श्री कन्हैया जी महाराज

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श्रीकन्हैया जी महाराज

प्रभु। पर विश्वास

दुर्योधन ने श्री कृष्ण की पूरी नारायणी सेना मांग ली थी।
और अर्जुन ने केवल श्री कृष्ण को मांगा था।

उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन की चुटकी (मजाक) लेते हुए कहा:-
हार निश्चित हैं तेरी, हर दम रहेगा उदास ।
माखन दुर्योधन ले गया, केवल छाछ बची तेरे पास ।
अर्जुन ने कहा :- हे प्रभु
जीत निश्चित हैं मेरी, दास हो नहीं सकता उदास ।
माखन लेकर क्या करूँ, जब माखन चोर हैं मेरे पास ।
🙏श्री कन्हैया जी महाराज वृन्दावन🙏।

श्रीकन्हैया जी महाराज

प्रथम मानसून वर्षा की हार्दिक बधाईया

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श्रीकन्हैया जी महाराज

जय श्री कृष्णा

प्रभु कहते है….!!

होती आरती, बजते शंख,
                पूजा में सब खोए है,

मंदिर के बाहर तो देखो,
                भूखे बच्चे सोए है |

एक निवाला इनको देना,
                प्रसाद मुझे चढ जायेगा,

मेरे दर पर माँगने वाले,
               तुझे बिन माँगे सब मिलजायेगा.

श्रीकन्हैया जी महाराज

हे कृष्णा

🎐तेरे चरणों में हो जीवन की शाम

💫तेरे चरणों में हो जीवन की शाम
💫किशोरी यही मांग मेरी

🎐पाऊँ श्री चरणों में विश्राम
🎐किशोरी यही मांग मेरी

🔆श्री राधा श्री राधा श्री राधा राधा

🎐गुण अवगुण पर ध्यान न देना
🎐मुझ पापी को अपना लेना

💫मेरी बैयाँ श्यामा लेना थाम
💫किशोरी यही मांग मेरी

🎐जीवन की संध्या बेला हो प्यारी
🎐नैनन में हो छवि तुम्हारी

💫मेरे मुख में हो किशोरी तेरो नाम
💫किशोरी यही मांग मेरी

🎐जनम की प्यास यही है
🎐दास की आस यही है

💫प्यारी मिल जाये बरसानो धाम
💫किशोरी यही मांग मेरी

🎐🎐💫💫🔽🔽💫💫🎐🎐

श्रीकन्हैया जी महाराज

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श्रीमद् भागवत्

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श्रीकन्हैया जी महाराज

श्रीमद् भागवत् कथा

💐💐🙌🙇🙏🙇🙌💐💐

    💐🙏श्रीराधा विजयते नमः🙏💐

किशोरी पद किंकर श्याम सुजान |
नवल – निकुंज – मंजु बिच नित ही, चापत चरनन कान्ह |
कबहुँक चँवर ढुरावत, कबहुँक, खड़ो लिये पिकदान |
बरसाने की गलियन बिच नित, करत लली – गुनगान |
माँगत कृपा किशोरी जू की, करि करि सुयश बखान |
दृग अँसुवन सों चरण पखारत, जब राधे कर मान |
हा हा ! खात सखिन सों याचत, राधे दर्शन दान |
गहवर गलिन रटत नित ‘राधे !’, बिँधे, प्रिया – दृग – बान |
बड़भागी ‘कृपालु’ सो पिवु जो, राधे हाथ बिकान ||

भावार्थ – श्री श्यामसुन्दर किशोरी जी के युगल चरण कमलों के सनातन दास हैं | सदा ही मनोहर नूतन निकुँजों के बीच किशोरी जी के चरणों को दबाया करते हैं | कभी तो श्यामसुन्दर किशोरी जी की चँवर डुलाते हैं, कभी पीकदान लिये खड़े रहते हैं | बरसाने की, गलियों में किशोरी जी के गुणों को गाते हुए फिरा करते हैं एवं किशोरी जी के यश का बखान करते हुए उनसे कृपा की भीख माँगते हैं | जब किशोरी जी मान करती हैं तब श्यामसुन्दर उनके चरणों में आँसू बहाते हुए मनाते हैं | किशोरी जी के वियोग में उनके दर्शनार्थ उनकी दासियों की हा ! हा ! खाते हैं | गह्वरवन की वीथियों में किशोरी जी के कटाक्षों से घायल हुए राधे ! राधे ! पुकारा करते हैं | ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि वे श्यामसुन्दर बड़े भाग्यशाली हैं जो हमारी स्वामिनी जी की दासता करते हैं | श्री कन्हैया जी महाराज

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श्रीकन्हैया जी महाराज

श्रीमद् भागवत् चिन्तन

श्री राधे- आज का भगवद चिन्तन- 20-6-2015
🔸  दूसरों को अपनी बात मानने के लिये बाध्य करना सबसे बड़ी अज्ञानता है। यहाँ हर आदमी एक दूसरे को समझाने में लगा हुआ है। हम सबको यही बताने में लगे हैं कि तुम ऐसा करो, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिये था। तुम्हारे लिये ऐसा करना ठीक रहेगा।
🔹  ये सब अज्ञानी की अवस्थायें हैं ज्ञानी की नहीं। ज्ञानी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वह किसी को सलाह नहीं देता, वह मौन रहता है, मस्ती में रहता है, वह अपनी बात को मानने के लिए किसी को बाध्य नहीं करता है।
🔶    इस दुनिया की सबसे बड़ी समस्या ही यही है कि यहाँ हर आदमी अपने आपको समझदार और चतुर समझता है  और दूसरे को मूर्ख। सम्पूर्ण ज्ञान का एक मात्र उद्देश्य अपने स्वयं का निर्माण करना ही है। बिना आत्म सुधार के समाज सुधार किंचित संभव नहीं है। “” हम सुधरेंगे युग सुधरेगा “”
        
                 श्रीकन्हैया जी महाराज
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