🌷🌷 🌷भावकथा 
एक गूजरी रोजाना मदन मोहन जी करौली वालो के मदिर मे दूध देने आया करती थी. लोभवश वह दूध मे पानी मिलाया करती थी . किनतु मदन मोहन जी का उस गूजरी का आपस मे बडा पे्म था ़ एक दिन गूजरी ने दूध मे किसी बावडी का पानी मिलाया और भागयवश उसमे मछली आ गई. जब गुसॉई जी ने मछली देखी तो गूजरी को फटकार लगाते हुए दूध देने की सेवा से हटा दिया. गूजरी ने दो दिन मदन मोहन जी के दरशन वियोग मे कुछ नही खाया और रोते हुऐ पडी रही तीसरे दिन सवम मदन मोहन जी उसके घर पहुच कर दूध मांगते हुऐ कहने लगे मै यदि दूध पीउगॉ तो सिफ् तुमहारा लाया हुआ ही पीउगॉ और बात के बीच ही गुसॉई जी ने मदिंर मे उतथापन की घटीं बजा दी. मदन मोहन जी भागने के उपक्म् मे अपना पीताबरं वही छोड कर गूजरी की ओढनी लपेट कर मदिरं मे खडे हो गये. जब गुसॉई जी ने ठाकुर जी का दरशन किया तो आनदं विभोर हो कर पूछने लगे की आप यह ओढनी़ किसकी ले आये है.तभी वह गूजरी भी ठाकुर जी का पीताबरं लिये मदिरं मे पहुच गई.अब गुसॉई जी को भकत और भगवान की इस पेम् लीला को समझने मे समय नही लगा. तभी ठाकुर जी ने गुसॉई जी को आदेश किया की यह गूजरी मुझे बहुत अधिक प्रिय है यह रोज मेरे दरशन को मदिंर मे आनी चाहिये तब से आज भी गूजरी की याद मे मदन मोहन जी को काली ओढनी धारण करवायी जाती है🌷🙏