Search

श्रीकन्हैया जी महाराज

विश्व प्रख्यात भागवत् कथा वक्ता

Month

January 2017

श्रेष्ठ 

​”दरिद्रता धीरतया विराजते कुवस्त्रता शुभ्रतया विराजते ।

कदन्नता चोष्णतया विराजते कुरूपता शीलतया विराजते ।।”

(चाणक्य-नीतिः—९.१४)
अर्थः—-यदि दरिद्र (गरीब) व्यक्ति के पास धैर्य रूपी धन हो तो दरिद्रता (गरीबी) कष्टदायक नहीं होती ।
यदि वस्त्र पुराना या फटा हो, किन्तु यदि साफ व पवित्र हो तो बुरा नहीं होता अपितु सुन्दर ही लगता है ।
यदि खराब भोजन हो, किन्तु गरम कर लिया जाए तो वह रुचिकर लगता है ।
यदि व्यक्ति कुरूप अर्थात् सुन्दर न हो, किन्तु उसके पास शील आदि अनेक गुण हो तो वह सबको अच्छा ही लगता है, किसी की आँखों में नहीं खटकता ।

रामकृष्ण कहिए उठी भोर । 

अवध ईस वे धनुष धरे हैं, यह ब्रज माखन चोर ।। 


उनके छत्र चँवर सिंघासन, भरत सत्रुहन लछमन जोर । 
इनके लकुट मुकुट पीताम्बर, नित गौवन संग नन्दकिसोर ।।

उन सागर में सिला तराई, इन राख्यो गिरी नख की कोर । 
‘नन्ददास’ प्रभु सब तजि भजिए जैसे निरखत चंद चकोर ।

प्रभु

​शरीरं सुरूपं नवीनं कलत्रं 

             धनं मेरुतुल्यं यशश्चारु चित्रम् |

हरेरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं

           तत: किं तत: किं तत: किं तत: किम् ||
भावार्थ  – 

         शरीर चाहे कितना भी सुन्दर हो ,  पत्नी चाहे कितनी भी मनमोहिनी हो , धन चाहे कितना भी सुमेरु पर्वत की भांति असीम हो और  सारे संसार में चाहे कितना भी नाम रोशन हो चुका हो लेकिन जब तक जिन्दगी देने वाले श्रीहरि के चरणकमलों में मन नहीं लगा हुआ है तब तक क्या हासिल किया ? क्या पाया ? अर्थात् सब बेकार है |

👏  भक्तों के भगवान श्री दामोदर 👏

🌹भगवान दूर खड़े मुस्कुरा रहे है। तभी भगवान के परम मित्र मनसुखा आ गए तो मैया मनसुखा से कहती है।

🌹 मनसुखा तू आज लल्ला को पकडवाने मे मदद करेगा।तब तुझको खाने को मक्खन दूंगी।मनसुखा बातों मे आ जाते हैं।जब मनसुखा भी कन्हैया को पकड़ने भागे।कन्हैया बोले क्यों रे ब्राहमण तू आज माखन के लोभ मे मैया से मार लगवायगो। सोच ले में तो तुझ को रोज चोरी करके माखन खाने की लिए देता हूँ। मैया तो तुझे सिर्फ आज माखन खाने को देगी।अगर तूने मुझे पकड़ा और मैया से मार लगवाई तो तेरा अपनी पार्टी से बायकाट कर दुंगो। 

🌹मनसुखा बोले देख कान्हा मैया का क्या है एक तो वो तुझ से प्यार इतना करती है जो तुझको जोर से मार तो लगाएगी नहीं और 2 चपत तेरे गाल पे लग जायेगी तो क्या इस ब्राहमण का भला हो जायेगा।और माखन खाने को मिल जायेगा चोरी भी नहीं करनी पड़ेगी।

🌹कान्हा बोले अच्छा मेरी होए पिटाई और तेरी होय चराई।🌹

🌹वाह मनसुखा वाह और यह सब कहते हुए छोटे छोटे पैरों में घुंघरू छन-छन करके बज रहे हैं।यशोदा सब कुछ सुन रही हैं।अपने लाल की लीला देख के गुस्सा भी और प्रसन्न भी हो रही हैं। गुस्सा इसलिए हो रही है की इतना छोटा और इतना खोटा, पकड़ मैं ही नहीं आ रहा।अपने लाल की लीला जिसपे सारा बृज वारी-वारी जाता है। भगवान् सुंदर लीला कर रहे हैं। तभी मनसुखा ने माखन के लोभ में कृष्ण को पकड़ लिया है।व जोर से आवाज लगायी काकी जल्दी आओ मैंने कान्हा को पकड़ लिया है।

🌹 आवाज सुनकर मैया दौड़ी-दौड़ी आई।जैसे ही मैया पास पहुंची मनसुखा ने कान्हा को छोड दिया। मनसुखा बोले मैया मैंने इतनी देर से पकड़ के रखो पर तू नाए आई। कान्हा तो हाथ छुडवा के भाग गयो।

जब मैया थककर बैठ गयी तो मनसुखा मैया से बोलो मैया तू कहे तो कान्हा को पकड़ने को तरीका बताऊँ तू इसे अपने भक्तन (सखा और सखी गोपियों ) की सौगंध खवा।

🌹मैया बोली या चोर को कौन भक्त बनेगो। फिर भी मैया कन्हैया को सौगंध खवाती है।कन्हैया तुझे तेरे भक्तो की सौगंध जो मेरी गोदी मे न आयो।

🌹भगवान् मन मे सोचते है 🌹“अहम् भक्ता पराधीन “🌹 मैं तो भक्त के आधीन हूँ और वो भागकर मैया के पास चले आते हैं। मैया से बोलते हैं अरी मैया अब तू मोये मार या छोड दे ले अब मे तेरे हाथ मे हूँ ।

🌹मैया बोली लल्ला आज मारूंगी तो नहीं पर छोडूंगी भी नहीं पर तेरी सारी बदमाशी तो बंद करनी ही पड़ेगी इसलिए मैया रेशम की डोरी से उखल से कृष्ण की पेट को बांध रही हैं 

भगवान सोच रहे हैं मैया मेरे हाथ को बांधे तो बंध जाऊं पैर बांधे तो भी बंध जाऊं पर मैया तो पेट से बांध रही और मेरे पेट मैं तो पूरा ब्रहम्मांड समाया है बार बार बंध रही है पर हर बार डोरी 2 उंगल छोटी पड़ जाती है और डोरी जोडके बंधती है तो भी 2 उंगल छोटी पड़ जाती है एक उंगल प्रेम है और दूसरा है कृपा भगवान सोच रहे है की अगर प्रेम है तो कृपा तो मैं अपने आप ही कर देता हूँ 

आज जब मैया थक गयी और प्रेम मैं आ गयी तो प्रभु ने कृपा कर दी और अब मैया ने कान्हा को बाँध दिया है ।

🌹संस्कृत मे डोरी को दाम कहते है और पेट को उदर कहते है जब भगवान् को रस्सी से पेट से बांधा तो कान्हा का के नया नाम उत्पन्न हुआ दामोदर 
बोलो दामोदर भगवान की जय …🙏🏻🙏🏻

श्रीकन्हैयाजी की कलम से 📝

​एक छोटी सी बात आप सब के लिए 

👉बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में।

उसी दहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है।।

😘😘😘

👉सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूरत के आगे। 

बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है।।😘😘😘
👉लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार।

पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।।😘😘😘
👉वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए।

घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई को बदलते देखा है।।😘😘😘
👉सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को।

आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।।😩😩😩😩
👉जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन।

आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है।।😘😘😩
👉जिसने न दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी।

आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है।।😳😳😳
👉दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था  जिस बेटी को जबरन बाप ने।

आज पीटते उसी शौहर के हाथो सरे राह देखा है।।
👉मारा गया वो पंडित बे मौत सड़क दुर्घटना में यारो।

जिसे खुद को काल, सर्प, तारे और हाथ की लकीरो का माहिर लिखते देखा है।।
👉जिसे घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों।

आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।।
👉बन्द कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर।

अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा।।
👉आत्म हत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर।

अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता।।
👉गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है उन्होंने देख लिया कि।

इंसान हमसे अच्छा नोंचता  है।।
👉कुत्ते कोमा में चले गए, ये देखकर।

क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान देखा है।।

    🙏🙏 जय श्री राधे 🙏🙏

ऐसा दिखता है भारत का आखिरी गांव

, यहीं से पांडव गए थे स्वर्ग http://tz.ucweb.com/1_L8Rq

Blog at WordPress.com.

Up ↑