दूर नगरी बड़ी दूर नगरी । 

कैसे आऊं मैं कन्हाई, तोरी गोकुल नगरी ।। 
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी । 

रात को आऊं कान्हा डर मोहि लागे । 
दिन को आऊं तो देखे सारी नगरी ।। 
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी । 

सखी संग आऊं कान्हा शर्म मोहि लागे । 
अकेली आऊं तो भूल जाऊं डगरी ।। 
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी । 

धीरे धीरे चलूँ तो कमर मोरी लचके । 
झटपट चलूँ तो छलकाए गगरी ।। 
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी । 

‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर । 
तुमरे दरस बिन मैं तो हो गयी बावरी ।। 
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी । 

श्री कन्हैया जी महाराज